हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने से पहले कुछ ज़रूरी बातें, जो जाँचकर और दुसरे पॉलीसी से कम्पेयर कर देखने चाहिए
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हेल्थ इंश्योरेंस के प्रकार
पॉलिसी | मेडिक्लेम इंश्योरेंस | फैमिली हेल्थ इंश्योरेंस प्लान | सीनियर सिटिज़न हेल्थ इंश्योरेंस प्लान | क्रिटिकल इलनेस हेल्थ इंश्योरेंस प्लान | इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस प्लान | व्यक्तिगत दुर्घटना इंश्योरेंस प्लान |
पॉलिसी के बारे में जानकारी | मेडिक्लेम इंश्योरेंस आपको दुर्घटना या बीमारी से जुड़े खर्चे को कवर करने में मदद करता है। मेडिक्लेम इंश्योरेंस के द्वारा आप अचानक सामने आने वाले स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से निपटने के लिए तैयार रह सकते हैं और अपने भविष्य की जरूरतों के लिए बचाये गए पैसों भी की बचत कर सकते हैं । | फैमिली हेल्थ इंश्योरेंस प्लान परिवार के एक सदस्य के लिए नहीं , बल्कि परिवार के सभी सदस्यों के लिए एक साथ लिया जाने वाला प्लान है। इस प्लान में आप साल में एक बार , या एक साल में दो बार प्रीमियम दे सकते हैं , और इसमें आपको परिवार के सदस्यों को शामिल करने की सुविधा भी मिलती है, जिन्हें इंश्योरेंस कंपनी कवरेज देती है । | 60 साल की उम्र तक आते-आते बीमारी पर खर्चा बढ़ता जाता है, और सीनियर सिटिज़न हेल्थ इंश्योरेंस प्लान आपको अचानक बीमारी के कारण पैदा होने वाले इमरजेंसी के हालत और उससे जुड़े खर्चे से निपटने में मदद करता है। यह 60 से 80 साल तक के उम्र के लोगों लिए है। | क्रिटिकल इलनेस हेल्थ इंश्योरेंस प्लान इंश्योरेंस कंपनियों के द्वारा खास तौर पर उन लोगों के लिए बनाया गया प्लान है, जो हार्ट- अटैक , स्ट्रोक, कैंसर और पैरालिसिस जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ रहे होते हैं। इन बीमारियों के इलाज में बहुत पैसा खर्च होता है, और यह इंश्योरेंस उन खर्चों से निपटने में मदद करता है। | इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस प्लान इलाज से जुड़े सभी खर्चों को कवर करता है, लेकिन यह सिर्फ एक अकेले व्यक्ति के लिए तैयार किया गया प्लान है, बाकी परिवार के सदस्य इस पॉलिसी में कवर नहीं होते। | यह प्लान दुर्घटना होने पर इलाज के लिए जरुरी खर्चे को कवर करता है। दुर्घटना कहीं भी घट सकती है -सड़क से यात्रा करते समय , रेल में या हवाई जहाज़ में। यदि दुर्घटना के दौरान व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो इंश्योरेंस कंपनी व्यक्ति के परिवार को सम -ऐशयोर्ड देता है। |
पॉलिसी लेने की सही उम्र | मेडिक्लेम इंश्योरेंस कराने की न्यूनतम आयु 90 दिन है जिसके अंदर एक नवजात शिशु के लिए पॉलिसी ली जा सकती है , और इसकी अधिकतम आयु 60 से 65 वर्ष तक है। | फैमिली हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लेने के लिए वयस्क की आयु 18 से 60-65 साल तक होनी चाहिए। अगर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लेने वाले वयस्क के ऊपर आश्रित बच्चे की आयु कम से कम 90 दिन है तो वयस्क की आयु 22 से 25 साल तक होना चाहिए।इंश्योरेंस प्लान में कवर्ड परिवार के अन्य सदस्यों की उम्र अधिकतम 60-65 साल तक होती है। | इस प्लान को लेने के लिए कम से कम 60 साल की उम्र होनी चाहिए , और इसकी अधिकतम उम्र अलग अलग प्लान के हिसाब से अलग अलग है , लेकिन आमतौर पर यह 80 साल तक की उम्र के लोग ले सकते हैं। | इस इंश्योरेंस प्लान को लेने की न्यूनतम आयु 18 साल है, लेकिन बाजार में कुछ प्लान ऐसे भी मौजूद हैं, जिसमें 5 साल की उम्र से अधिकतम 60 से 65 वर्ष की उम्र तक के लोग क्रिटिकल इलनेस हेल्थ इंश्योरेंस प्लान को खरीद सकते हैं। | इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस प्लान कम से कम 90 दिन के नवजात शिशु के लिए ले सकते हैं , या ज्यादा से ज्यादा 60 से 65 साल तक की उम्र के व्यक्ति लिए। | यह प्लान लेने के लिए व्यक्ति की आयु कम से कम 18 साल, और अधिकतम 60-65 साल तक होनी चाहिए। |
प्रीमियम | प्रीमियम की रकम अधिकतर व्यक्ति की आयु और स्वस्थ्य पर निर्भर करता है। आमतौर पर पब्लिक कंपनियों का प्रीमियम प्राइवेट कंपनियों से कम होता है। | इसका प्रीमियम आमतौर पर परिवार के हर सदस्य के लिए अलग -अलग लिए जाने वाले इंश्योरेंस प्लान के प्रीमियम से कम होता है। क्योंकि इस प्लान में परिवार के कई सदस्य एक साथ कवर होते हैं तो इसका इंश्योरेंस कवरेज ज्यादा होना चाहिए, और ज्यादातर समय इंश्योरेंस कम्पनियाँ बड़ी धन राशि के सम ऐशयोर्ड के प्रीमियम पर छूट देती हैं। | किसी भी सीनियर सिटिज़न हेल्थ इंश्योरेंस प्लान का प्रीमियम बहुत ज्यादा होता है , क्योंकि इस उम्र तक पहुँचते -पहुँचते इलाज में पैसे खर्च होने की संभावना बहुत ज्यादा हो जाती है। कुछ इंश्योरेंस कम्पनियाँ तो पॉलिसी देने से पहले मेडिकल जाँच कराने को भी कहती हैं। | प्रीमियम की रकम आमतौर पर ज्यादा होती है ,क्योंकि क्रिटिकल इलनेस जैसी जान लेवा बीमारियों के साथ जोखिम भी बहुत जुड़े होते हैं। | इसका प्रीमियम आमतौर पर कम होता है क्योंकि इंश्योरेंस कवर केवल एक व्यक्ति के लिए होता है। लेकिन प्रीमियम की राशि कई तरह की बातों को ध्यान में रखकर तय किया जाता है, जैसे व्यक्ति की उम्र, उसके स्वास्थ्य की स्थिति आदि। | जितना कवरेज इस इंश्योरेंस प्लान में मिलता है , उस हिसाब से इसका प्रीमियम काफी सस्ता है। अगर व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा प्लान को बाकि इंश्योरेंस प्लान के साथ ऐड ऑन राइडर की तरह लेता है तो यह एक बेहतरीन प्लान बन जाता है। |
कैशलेस सुविधाएँ | जी हाँ। मेडिकल इंश्योरेंस कंपनी के पैनल में जितने भी अस्पताल आते हैं, वहाँ आप कैशलेस इलाज की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। अस्पताल में इलाज शुरु करने से पहले यह जरूर देख लें कि उस अस्पताल का नाम पैनल के अस्पतालों की लिस्ट में है कि नहीं, और वहाँ इलाज करवाने पर आपके इंश्योरेंस का क्लेम मंजूर होगा की नहीं। | आजकल लगभग सभी बड़े अस्पताल हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों के पैनल में होते हैं। आप पैनल के नेटवर्क में आने वाले सभी अस्पतालों में कैशलेस इलाज की सुविधा का लाभ ले सकते हैं। | अधिकतर प्लान अपने नेटवर्क के पैनल के अस्पतालों में कैशलेस इलाज की सुविधा देते हैं, या इलाज में जो भी पैसा लगता है , उसे वापस लौटाते हैं । | आजकल लगभग सभी बड़े अस्पताल हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों के पैनल में होते हैं। आप पैनल के नेटवर्क में आने वाले सभी अस्पतालों में कैशलेस इलाज की सुविधा का लाभ ले सकते हैं। | ज्यादातर कम्पनियाँ नेटवर्क अस्पतालों में कैशलेस इलाज की सुविधा देती हैं , और आजकल लगभग सभी बड़े अस्पताल इंश्योरेंस कंपनियों के पैनल में होते हैं। | लगभग सभी प्लान नेटवर्क में आने वाले सभी अस्पतालों में कैशलेस इलाज की सुविधा देते हैं। |
कवरेज | मेडिक्लेम इंश्योरेंस बीमारी से जुड़े खर्चे या अस्पताल में भर्ती होने के दौरान इलाज में होने वाले अन्य ख़र्चों को कवर करता है। | अक्सर फैमिली फ्लोटर प्लान पूरे परिवार को कवरेज देता है जिसमे परिवार के सदस्यों की संख्या 4 तक होती है, लेकिन बाजार में कुछ प्लान ऐसे भी हैं जिसमें माता-पिता भी पॉलिसी में कवर होते हैं। | इंश्योरेंस कम्पनियाँ वैसे तो इलाज का पूरा खर्चा देती हैं , लेकिन यह जानने के लिए कि आपको कितना कवरेज की जरुरत है , आपको साल भर में इलाज पर हुए खर्चे का अंदाज लगाकर कवरेज तय करना होना । | हर इंश्योरेंस कंपनी के प्लान अलग अलग हैं , जिसमें वह 8 से लेकर 37 तक बड़ी बीमारियों को कवरेज देते है।जो भी पॉलिसी आप खरीद रहे हैं उसे लेते समय यह जरूर देख लें कि कौन सी बीमारी पॉलिसी में कवर्ड है। 2 लाख से 50 लाख तक सम ऐश योर्ड वाले प्लान मौज़ूद हैं। | इसमें सिर्फ एक अकेले व्यक्ति को कवरेज दिया जाता है और उसके इलाज से जुड़े खर्चों को कवर किया जाता है। | आपको कितने कवरेज की जरुरत है इसका अंदाज़ा आपको दुर्घटना के समय इलाज के लिए कितने पैसों की जरुरत पड़ सकती है, और रोज के खर्चे के लिए कितने नगदी की जरुरत पड़ेगी , इन दोनों को ध्यान में रखकर करना चाहिए |
अस्पताल से लाने -ले जाने का खर्चा | अधिकतर इंश्योरेंस कम्पनियाँ मरीज़ को अस्पताल में लाने -ले जाने का खर्चा देती हैं। | फैमिली फ्लोटर प्लान परिवार के सभी कवर्ड सदस्यों को अस्पताल में लाने -ले जाने का खर्चा देती है। | अधिकतर सीनियर सिटिज़न हेल्थ इंश्योरेंस प्लान मरीज़ को अस्पताल में लाने -ले जाने का खर्चा देती हैं। | अधिकतर इंश्योरेंस प्लान मरीज़ को अस्पताल में लाने -ले जाने का खर्चा देते हैं, लेकिन कुछ कम्पनियों के प्लान यह खर्चा नहीं देते , क्योंकि वह एक साथ एक बड़ा पैसा मरीज़ को इलाज का खर्चा उठाने के लिए दे देते हैं। | अधिकतर इंश्योरेंस प्लान मरीज़ को अस्पताल में लाने -ले जाने का खर्चा देती हैं। | आमतौर पर यह प्लान मरीज़ को अस्पताल में लाने -ले जाने का खर्चा देती है। |
अस्पताल में भर्ती होने से पहले और डिस्चार्ज के बाद का खर्चा | अस्पताल में भर्ती होने से 30 दिन पहले और 60 दिन बाद तक के इलाज का खर्चा आप अपने प्लान के हिसाब से, डिस्चार्ज होने के 45-60 दिन के भीतर क्लेम कर सकते हैं। | फैमिली हेल्थ इंश्योरेंस में अस्पताल में भर्ती होने से 30 से 60 दिन पहले का, और डिस्चार्ज होने के 45 से 60 दिन के भीतर का इलाज का खर्चा क्लेम किया जा सकता है, जो लिए गए प्लान पर निर्भर करता है । | ज्यादातर इन्सुरन्स कम्पनियाँ अस्पताल में भर्ती होने से 30 दिन पहले और 60 दिन बाद तक के इलाज का पूरा खर्चा देती हैं, या कुछ कम्पनियाँ अस्पताल में होने वाले कुल खर्चे का 3% से 5% तक देती हैं। | ज्यादातर इंश्योरेंस प्लान अस्पताल में भर्ती होने से 30 दिन पहले और 60 दिन बाद तक के इलाज का खर्चा देते हैं। | ज्यादातर इंश्योरेंस कम्पनियाँ अपने अपने प्लान के हिसाब से अस्पताल में भर्ती होने से 30 दिन पहले और 90 दिन बाद तक के इलाज का खर्चा देती है। | इंश्योरेंस कंपनी सम ऐशयोर्ड के आधार पर आपके खर्चे को कवर करती है। |
अन्य फ़ायदे | • यह प्लान लचीला है क्यों कि इसमें थोड़ा सा प्रीमियम ज्यादा देने पर फैमिली फ्लोटर प्लान लिया जा सकता है जिसमे पूरे परिवार को इंश्योरेंस का कवरेज मिल जाता है। • कुछ प्लान में सीनियर सिटीजन को शामिल करने का विकल्प भी है, या आप उनके लिए अलग से मेडिक्लेम प्लान भी ले सकते हैं। • मेडिक्लेम इंश्योरेंस का प्रीमियम भरने पर आप इनकम टैक्स के सेक्शन 80D के तहत इनकम टैक्स में छूट का लाभ उठा सकते हैं। |
• यह एक ही समय में परिवार के दो या तीन सदस्यों के इलाज का खर्चा भी उठता है , लेकिन सम ऐशयोर्ड के लिमिट के भीतर रहकर। • आपके पास दो या तीन साल का इंश्योरेंस एक ही साथ खरीदने का ऑप्शन होता है। • इस इंश्योरेंस का प्रीमियम भरने पर आपको इनकम टैक्स 1961 के सेक्शन 80D के तहत इनकम टैक्स में छूट मिलती है। |
इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम भरने पर आपको इनकम टैक्स 1961 के सेक्शन 80D के तहत इनकम टैक्स में छूट मिलती है। | • इस इंश्योरेंस पॉलिसी को लेने का मुख्य फायदा यह है कि यह आपके जीवन भर की बचत को इलाज में होने वाले खर्चे से बचाता है। • आपके पास दो या तीन साल का इंश्योरेंस एक ही साथ खरीदने का ऑप्शन होता है। • इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम भरने पर आप इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80D के तहत इनकम टैक्स में मिलने वाली छूट का लाभ उठा सकते है। |
• इसका प्रीमियम एक व्यक्ति के स्वास्थ्य की देखभाल के हिसाब से बहुत किफ़ायती है • यह इंश्योरेंस लचीला है , और भविष्य में माता -पिता और ससुराल पक्ष के लोगों को इंश्योरेंस पॉलिसी में जोड़ने की सुविधा देता है, जिससे उनके लिए नई पॉलिसी खरीदने की जरुरत न पड़े। • इनकम टैक्स के सेक्शन 80D के तहत इंश्योरेंस का प्रीमियम भरने पर आप इनकम टैक्स में छूट का लाभ उठा सकते हैं। |
• यह प्लान मृत्यु होने पर , या पूर्ण रूप से विकलांग होने पर कवरेज देता है। • कुछ प्लान दुनिया के किसी भी कोने में होने पर भी कवरेज देता है। • इस प्लान में एक व्यक्ति या परिवार के सभी सदस्यों के लिए कवरेज लिया जा सकता है। |
पहले से मौज़ूद बीमारी | साधारण मेडिक्लेम प्लान, इंश्योरेंस लेने से पहले शरीर में मौजूद बीमारी को कवर नहीं करता। कुछ प्लान में पॉलिसी लेने के कुछ समय बीत जाने पर , जिसे वेटिंग पीरियड कहते हैं , प्री- एग्ज़िस्टिंग डीजीज़ को भी कवरेज मिलना शुरू हो जाता है। | फैमिली फ्लोटर प्लान किसी भी प्री- एग्ज़िस्टिंग बीमारी को पहले दिन से ही कवर नहीं करता। आपको एक निर्धारित समय पूरा होने तक उस बीमारी का कवरेज मिलने का इंतज़ार करना पड़ेगा। | ज्यादातर बड़ी इंश्योरेंस कंपनियों ने प्री- एग्ज़िस्टिंग बीमारियों को कवर करने के लिए अलग-अलग वेटिंग पीरियड बनाया हुआ है। शुरू के 12 महीने कोई भी कंपनी इंश्योरेंस कवर नहीं देती। | क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस प्लान प्री एग्जिीस्टिंग डिजीज को कवर तो करता है , लेकिन वेटिंग पीरियड समाप्त होने के बाद। यह पॉलिसी खरीदने के पहले दिन से ही कवरेज नहीं देता। | इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस प्लान प्री- एग्ज़िस्टिंग डीजीज़ को पॉलिसी खरीदने के पहले दिन से ही कवर नहीं करता। इसके लिए वेटिंग पीरियड के ख़त्म होने का इंतज़ार करना पड़ता है। | प्री- एग्ज़िस्टिंग डीजीज़ या विकलांगता इसमें कवर नहीं होता। |
इंतज़ार की अवधि | मेडिक्लेम पॉलिसी में प्री- एग्ज़िस्टिंग डीजीज़ कवर करने के लिए 2 से 4 साल तक का समय वेटिंग पीरियड होता हैं, लेकिन कौन-कौन सी बीमारी पॉलिसी में प्री- एग्ज़िस्टिंग डीजीज़ के रूप में कवर्ड है, और कितने समय के बाद कवर्ड है, यह पॉलिसी लेने से पहले देखना ज़रूरी हैं। | प्री- एग्ज़िस्टिंग डीजीज़ को कवर करने के लिए इन प्लान का वेटिंग पीरियड 2 से 4 साल तक का होता हैं, लेकिन कौन-कौन सी बीमारी पॉलिसी में प्री- एग्ज़िस्टिंग डीजीज़ के रूप में कवर्ड है, यह पॉलिसी लेने से पहले देखना ज़रूरी हैं। | इसमें वेटिंग पीरियड अलग अलग प्लान के हिसाब से बदलता रहता है, लेकिन अगर औसत निकालें तो प्री- एग्ज़िस्टिंग डीजीज़ को कवर करने के लिए आपको 2 से 4 साल तक का इंतज़ार करना पड़ता है, लेकिन पॉलिसी लेने से पहले यह जरूर देख लें कि कौन सी बीमारी पॉलिसी में कवर्ड है , और कितने समय के बाद कवर्ड है। | क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस प्लान में क्लेम लेने के लिए वेटिंग पीरियड लगभग 3 महीने है , और प्री- एग्ज़िस्टिंग डीजीज़ को कवर करने का वेटिंग पीरियड 2 से 4 साल तक का समय होता है। बीमारी और उसका वेटिंग पीरियड कितना है , यह पॉलिसी लेते समय जाँच लें। | प्री- एग्ज़िस्टिंग डीजीज़ को कवर करने के लिए.इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस प्लान का वेटिंग पीरियड 2 से 4 साल तक का होता है, लेकिन कौन सी बीमारी पॉलिसी में कवर्ड है , यह पॉलिसी लेते समय जरूर देखना चाहिए। | यह इंश्योरेंस खासतौर पर दुर्घटना के समय पैदा होने वाले अनिश्चित पलों के लिए है, लेकिन यह पहले दिन से ही इंश्योरेंस कवरेज नहीं देता। आमतौर पर इसका वेटिंग पीरियड 30 से 90 दिन है, लेकिन यह भी अलग अलग प्लान के हिसाब से बदलता रहता है। इंश्योरेंस प्लान लेने से पहले पॉलिसी के कागज़ ध्यान से पढ़ने चाहिए। |
हेल्थ इंश्योरेंस के क्लेम सेटलमेंट रेश्यो
बीमा कंपनिया | कितना प्रीमियम आया बीमा कंपनी के पास लोगो से (करोड़ में) | कितने के क्लेम पास या दिए गय (करोड़ में) | क्लेम सेटलमेंट रेश्यो % |
एक्को | 0.08 | 0.05 | 65.02% |
आदित्य बिरला | 151.98 | 135.35 | 89.05% |
अपोलो म्यूनिख | 1264.34 | 789.88 | 62.47% |
बजाज आलियांज | 1331.6 | 1033.47 | 77.61% |
भारती एक्सा | 99.79 | 98.29 | 98.50% |
चोलामंडलम एमएस | 339.16 | 135.53 | 39.96% |
सिगना टीटीके | 266.14 | 123.2 | 46.29% |
डीएचएफएल | 16.87 | 1.33 | 7.89% |
एडलवाइस | 0 | 0 | 70.01% |
फ्यूचर जनरली | 256.26 | 224.03 | 87.42% |
गो डिजिट | 1.76 | 1.05 | 60% |
एचडीएफसी एर्गो | 805.11 | 423.3 | 52.58% |
आईसीआईसीआई लोम्बार्ड | 1349.32 | 921 | 68.26% |
इफको टोकियो | 499.08 | 452.62 | 90.69% |
कोटक महिंद्रा | 15.1 | 7.28 | 48.21% |
लिबर्टी जनरल | 101.25 | 75.51 | 74.58% |
मैग्मा एचडीआई | 3.38 | 1.18 | 34.93% |
मैक्स बूपा | 575.85 | 289.02 | 50.19% |
रहेजा क्यूबीई | 0.13 | 0.02 | 18.19% |
रिलायंस | 671.16 | 715.08 | 106.54% |
रेलिगेयर | 679.67 | 353.21 | 51.97% |
रॉयल सुंदरम | 251.76 | 154.6 | 61.41% |
एसबीआई जनरल | 806.21 | 426.76 | 52.93% |
श्रीराम | 2.27 | 1.15 | 50.83% |
स्टार हेल्थ | 2739.6 | 1692.02 | 61.76% |
टाटा एआईजी | 418.28 | 253.82 | 60.68% |
युनिवर्सल सोम्पो | 133.06 | 138.6 | 104.17% |
नेशनल इंश्योरेंस | 4047.41 | 4676.88 | 115.55% |
न्यू इंडिया | 6479.06 | 6685.82 | 103.19% |
ओरिएंटल | 3750.52 | 4270.53 | 113.86% |
यूनाइटेड | 4638.13 | 5146.18 | 110.95% |
टेबल की जानकारी - ऊपर दी हुई टेबल की सभी जानकारी IRDA की वार्षिक रिपोर्ट 2017-2018 (स्टेटमेंट 15 ) से ली गई है | इंश्योरेंस रेगूलट्ररी डेवेलपमेंट औथोरिटी या IRDA हर साल अपनी वार्षिक रिपोर्ट में सभी इंश्योरेंस कंपनीयो का प्रमुख डाटा उपलब्ध कराती है |आप इस डाटा को IRDA की वेबसाइट पर भी पढ़ सकते है | (IRDA वेबसाइट)
* स्वास्थ्य में व्यक्तिगत दुर्घटना और यात्रा बीमा भी शामिल हैं