जीवन के साठ साल पूरे करते -करते हम अपनी जिम्मेदारी लगभग पूरी कर चुके होते हैं, तब एक चिन्ता सदा खाए रहती है कि अब यदि कोई तकलीफ़ या बीमारी हो गई तो क्या होगा।
सरकारी अस्पताल का तो बुरा हाल है, और प्राइवेट में इलाज इतना महँगा, कि जमा पूंजी चलेगी भी तो कितने दिन । लेकिन चिंता कि कोई बात नहीं है। साठ साल या उससे ज्यादा उम्र का होने पर भी मेडिक्लेम पॉलिसी ली जा सकती है और उम्र के इस भाग को भी चिंता मुक्त हो कर जिया जा सकता है।
खुशी की बात ये है कि सीनियर सिटीजन्स के लिए बहुत सारी कंपनियां अब हेल्थ इंश्योरेंस की सेवाएं प्रदान कर रही हैं, जैसे कि- स्टार हेल्थ इंश्योरेंस , मैक्स भूपा हेल्थ इंश्योरेंस , ओरिएण्टल इंश्योरेंस , एच् डी एफ सी एर्गो, आई सी आई सी आई लोम्बार्ड आदि। इन सबके अपने यूनीक फ़ीचर्स तथा फायदे हैं जो आपको अपनी ज़रुरत के अनुसार देखना चाहिए, और आप के लिए सबसे सही पॉलिसी का चुनाव करना चाहिए।
हम आपको कुछ खास बातों के बारे में बताएँगे जो कि आपको सही पॉलिसी चुनने में मदद करेंगी।
60 + का प्लान खरीदते समय किन बातों का विशेष ध्यान रखना हैं-
• जो बीमारी हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते समय पहले से ही है, उसके इलाज का खर्चा बीमा कंपनी देगी या नहीं - क्योंकि किसी कंपनी के प्लान में उस बीमारी के इलाज का पैसा मिलता है , किसी में नहीं। इसके अलावा अगर किसी प्लान में पैसा मिलता भी है तो कितने समय के बाद मिलना शुरू होती है, यह पता होना ज़रूरी है ।
• कौनसे हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में इंश्योरेंस जारी करने से पहले मेडिकल चेक अप ज़रूरी है , किसमें नहीं , यह भी पता लगा लेना चाहिए।
• क्या इस प्लान में आयुर्वेदिक इलाज का खर्चा मिलता है या नहीं।
• कुछ बीमारियों में हॉस्पिटल में एडमिट होने से पहले का खर्चा, भर्ती के दौरान होने वाला खर्चा और डिस्चार्ज के बाद का खर्चा भी बीमा कंपनी उठाती है।- जैसे कुछ हेल्थ इंश्योरेंस कम्पनियां डेंगू की बीमारी में हॉस्पिटल में भर्ती होने से पहले जो इलाज चल रहा था उसका खर्चा, फिर अस्पताल में भर्ती होने का खर्चा , और डिस्चार्ज होने के बाद कुछ समय तक जो इलाज चला , उन सबका खर्चा उठाती है।
• इसके अलावा कुछ बीमारियाँ ऐसी भी हैं जो हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में कवर नहीं होती, और कुछ बीमारियों में इलाज का कुछ हिस्सा ही मिलता है । उन बीमारियों की जानकारी पहले से होनी चाहिए।
• बाजार में बहुत सारे मेडिक्लेम पॉलिसीज़ बिक रही हैं। प्रीमियम में कितना पैसा देना है , यह व्यक्ति की उम्र के हिसाब से तय होता है। कोई भी प्लान लेने से पहले यह ज़रूर सोच लें कि सस्ते के चक्कर में ऐसा प्लान न खरीद ले, जो जरूरत पड़ने पर सभी जरूरतों को पूरा न कर रहा हो । जैसे कोई प्लान हॉस्पिटल के कमरे का उतना पैसा चुकाता है जो इंश्योरेंस कवरेज का 1% है। जैसे तीन लाख का इंश्योरेंस हैं तो इंश्योरेंस कंपनी 3000/- रूपया तक देगी, अगर कमरा इससे महंगा होगा तो बाकि पैसा जेब से भरना पड़ेगा। वहीँ दूसरी और कुछ प्लान ऐसे हैं जो आपके पूरा खर्चा भरते है।
मेडिक्लेम पॉलिसी का एक विशेष लाभ यह भी है कि इसके प्रीमियम पेमेन्ट पर - इनकम टैक्स के सेक्शन 80(D) के तहत अतिरिक्त छूट मिलती है।
लेख में लिखी गई बातें जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से हैं। किसी भी प्लान को गहराई से जानने के लिए बाजार में मौज़ूद हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों से सीधे जानकारी प्राप्त करें।