कोरोना वायरस और हेल्थ इंश्योरेंस-
जब किसी व्यक्ति को कोई छोटी-बड़ी बीमारी के कारण, किसी आपात स्थिति के कारण या किसी दुर्घटना के कारण किसी हॉस्पिटल में जाना या रहना पड़ता है। तो ऐसे समय में एक बड़ी रकम उस व्यक्ति को मेडिकल खर्च के नाम पर अस्पताल वालों को देनी पड़ती है। जिसका सारा भार उस व्यक्ति की जेब पर पड़ता है।
वर्तमान समय में कोरोना के कारण तो यह समस्या और भी ज्यादा देखने को मिल रही है। जहां एक तरफ कोरोना वायरस की बढ़ती रफ्तार के कारण लोगों को अस्पताल में बेड तक नहीं मिल रहे हैं तो दूसरी ओर, कई ऐसे अस्पताल भी हैं जहां कोरोना के इलाज में पेशेंट और उसके परिवार वालों को लाखों रुपए तक खर्च करने पड़े रहे हैं। ऐसे में यदि किसी आपके पास कोई ऐसा हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) है, जिसमें कोरोनावायरस का इलाज भी कवर है तो आप पैसों के नाम पर इस तरह की बड़ी रकम के भार से बच सकते हैं।
क्या होता है हेल्थ इंश्योरेंस या स्वास्थ्य बीमा?
हेल्थ इंश्योरेंस किसी व्यक्ति को मिलने वाली उन खर्चों की सिक्योरिटी या सुरक्षा है। जो उसे किसी बीमारी के कारण, किसी आपात स्थिति के कारण, किसी दुर्घटना के कारण या कोरोना के कारण हॉस्पिटल में रहने पर हॉस्पिटल वालों को देनी होती है।
इस प्रकार आप कोई अच्छी सी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदकर अपने आर्थिक बोझ को थोड़ा कम कर सकते हैं। इसके बदले में आपको इंश्योरेंस कंपनी को समय से उस पॉलिसी का प्रीमियम देना होता है। अत: आप किसी इंश्योरेंस कंपनी से बात करके हॉस्पिटल नेटवर्क की संख्या, क्विक क्लेम सेटलमेंट, मौजूद ऐड आन कवर और इंश्योरेंस कंपनी की डिजिटल मौजूदगी (वर्तमान समय में) के तहत एक बेहतर हेल्थ इंश्योरेंस का प्लान कर सकते हैं। जो आपको और आपके परिवार को कोरोना और इसके जैसी कई बड़ी एवं अन्य बीमारियों से बचाने का काम करता है।
कोरोनाकाल में क्यों जरुरी है स्वास्थ्य बीमा?
कोरना वायरस की बार-बार आती वेव (लहर) और कोरोना के बढ़ते केसों से यह तो साफ-साफ समझा जा सकता है कि यह बीमारी जल्दी से न तो खत्म होने वाली है और न ही रुकने वाली है। इसलिए जो हेल्थ इंश्योरेंस प्लान कोरोना वायरस इंफेक्शन के ईलाज खर्च को कवर करते हैं। वह आपको और आपके परिवार के लोगों को कोविड -19 से बीमार होने पर आर्थिक मदद देने का काम करते हैं। इसलिए वर्तमान समय में हेल्थ इंश्योरेंस (स्वास्थ्य बीमा) लेना बहुत जरुरी हो गया है।
हेल्थ इंश्योरेंस में क्या है कोरोना पॉलिसी?
कुछ हेल्थ इंश्योरेंस में “कोरोना कवच को कुछ में कोरोना रक्षक” नाम से कोरोना पॉलिसी हैं। जिन्हें आप कोरोना वायरस के इलाज के लिए ले सकते हैं। इन पॉलिसी की एक अच्छी बात यह है कि इनका ग्रेस पीरियड सिर्फ 15 दिन या इसके आस-पास का होता है। कहने का मतलब है यह कि यदि आपने कोरोना से ईलाज के लिए आज कोई बीमा पॉलिसी खरीदी और इसके 15 दिन बाद ही आप कोरोना वायरस की चपेट में आ गए तो ऐसे में बीमा कंपनी की तरफ से आपको क्लेम मिलेगा।
कोरोना पॉलिसी में क्या-क्या कवर होता है?
हेल्थ इंश्योरेंस की कुछ कोरोना पॉलिसी में हॉस्पिटल में एडमिट होने का खर्च- जिसमें बेड का चार्ज, PPE किट का खर्च, ब्लड टेस्ट का खर्च, ऑक्सीजन चार्ज, नर्सिंग चार्ज, ICU और डॉक्टर की कंसल्टेशन फीस कवर होती है। तो कुछ कोरोना पॉलिसी में डिस्चार्ज (अस्पताल से छुट्टी) होने के 30 दिन बाद तक के मेडिकल खर्चों पर भी कवरेज मिलता है। इसके अलावा कुछ कोरोना पॉलिसी ऐसी
भी हैं जिसमें- अगर आप कोरोना वायरस का इलाज घर पर करा रहे हैं, तो इसमें हेल्थ की मॉनेटरिंग और दवाइयों का खर्चा 14 दिन तक के लिए कवर होता है।
क्या हैं क्लेम प्रक्रियां?
हर बीमा कंपनी अपने क्लाइंट या ग्राहक को क्लेम सेटलमेंट के दो ऑप्शन (विकल्प) देती हैं। इसमें पहला ऑप्शन कैशलेस का होता है। और दूसरा ऑप्शन री-इम्ब्रसमेंट का होता है। इन सेटलमेंट के आधार पर ही इनकी बीमा पॉलिसी बनी होती हैं। चूंकि यह दोनों ऑप्शन ही आसान होते हैं। इसलिए आप अपनी सुविधा के अनुसार कोई भी क्लेम सेटलमेंट प्रक्रिया या ऑप्शन को चुन सकते हैं।
कोई भी हेल्थ इंश्योरेंस लेते वक्त ध्यान रखें यह बात-
हर बीमा कंपनी की अपनी टर्म एंड कंडीशन होती हैं। और उसी हिसाब से वह अपनी पॉलिसी बनाती हैं। इसलिए कोई भी हेल्थ पॉलिसी खरीदने से पहले यह अच्छे से समझ लें कि उस पॉलिसी में आपको कितना और क्या कवरेज मिलेगा?
जिस पॉलिसी में ज्यादा से ज्यादा चीजें जैसे बल्ड और अन्य हेल्थ टेस्ट का खर्च, एम्बुलेंस का खर्च, ऑक्सीजन खर्च, नर्सिंग चार्ज, और डॉक्टर की कंसल्टेशन फीस कवर हो उस पॉलिसी को लेना ही ज्यादा अच्छा होता है। ताकि बाद में आपको अपनी जेब से पैसे खर्च न करने पड़ें।
लेखक- रजनीश चावला