किसी भी तरह के गाड़ी का मालिक होना अपने आप में एक जिम्मेदारी की बात है। सड़क पर गाड़ी चलाते समय दुर्घटना होने की संभावना हमेशा बनी रहती है । इसलिए अगर आपने पहली बार मोटर साइकिल खरीदी है, तो आपके लिए यह जानना बहुत जरुरी है कि मोटर साइकिल को सड़क पर चलाने से पहले उसका इंश्योरेंस होना आवश्यक है। अब क्योंकि यह आपका पहला अवसर है तो मोटर साइकिल इंश्योरेंस खरीदने से पहले कुछ जरुरी जानकारियाँ आपके पास होनी चाहिए -
थर्ड पार्टी इंश्योरेंस बहुत किफ़ायती इंश्योरेंस है, और कॉम्प्रिहेन्सिव इंश्योरेंस थोड़ा महँगा। कॉम्प्रिहेन्सिव इंश्योरेंस लेना जरुरी नहीं है, लेकिन थर्ड पार्टी इंश्योरेंस , जो बेसिक इंश्योरेंस भी कहलाता है, उसे मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के अनुसार लेना जरुरी है। थर्ड पार्टी इंश्योरेंस में अगर आपकी गाड़ी और किसी दूसरी गाड़ी की आपस में दुर्घटना हो जाती है, तो आपको, या आपकी गाड़ी को किसी भी तरह के होने वाले नुकसान को यह इंश्योरेंस कवर नहीं करेगा, लेकिन दूसरे बाइक सवार को दुर्घटना में शारीरिक चोट पहुंचने पर, मृत्यु हो जाने पर या किसी भी प्रकार की संपत्ति को होने वाले नुक़साम को यह इंश्योरेंस कवर करेगा।
इंश्योरेंस के प्रकार - मोटर साइकिल इंश्योरेंस दो तरह के होते हैं, पहला, थर्ड पार्टी इंश्योरेंस, और दूसरा कॉम्प्रिहेन्सिव इंश्योरेंस ।
वहीँ अगर आप कॉम्प्रिहेन्सिव इंश्योरेंस की बात करते हैं तो दुर्घटना होने पर यह न केवल दूसरे बाइक सवार को हर तरह का कवरेज देता है, बल्कि कॉम्प्रिहेन्सिव इंश्योरेंस लेने वाली मोटर साइकिल, और उसके सवार, दोनों को नुकसान या चोट लगने पर वही सारी सुविधाएँ उपलब्ध कराता है। हमारी माने तो आपको कॉम्प्रिहेन्सिव पॉलिसी ही लेनी चाहिए ताकि सब तरह के नुक्सान की भरपाई हो सके और आपकी जेब से कोई पैसा ना लगे।
इनश्योर्ड डिक्लेयर्ड वैल्यू (IDV) - इंश्योरेंस लेते समय यह मालूम होना बहुत जरुरी है कि मोटर साइकिल को सड़क हादसे में नुकसान होने पर या चोरी होने पर अधिकतम कितने रुपये का क्लेम मिलेगा। इसी को इनश्योर्ड डिक्लेयर्ड वैल्यू कहते हैँ, और यही अधिकतम सम ऐशयोर्ड भी कहलाता है । गाड़ी बनाने वाली कंपनी ने मोटर साइकिल की जो कीमत निर्धारित की होती है, उसी के आधार पर इनश्योर्ड डिक्लेयर्ड वैल्यू तय किया जाता है। जैसे- जैसे गाड़ी पुरानी होती जाती है, वैसे- वैसे उस पर डेप्रिसिएशन लगना शुरू हो जाता है, जिसका मतलब है गाड़ी की कीमत में धीरे- धीरे कमी आना। और उसी के साथ कम होता जाता है दुर्घटना या चोरी होने पर इंश्योरेंस कंपनी से मिलने वाली क्लेम की राशि। साधारण शब्दों में कहा जाए तो -जितनी ज्यादा गाड़ी की आई. डी. वी., उतना ही ज्यादा क्लेम की राशि।
प्रीमियम - मोटर साइकिल का प्रीमियम उसके फीचर्स पर आधारित होता है। जितनी ज्यादा क्यूबिक केपेसिटी की गाड़ी, उतना ही ज्यादा उसका प्रीमियम। अगर आपने अपनी मोटर साइकिल में किसी तरह का बदलाव या मॉडिफिकेशन किया है तो उससे भी ज़्यादा प्रीमियम लगता है । इसके अलावा किस शहर से मोटर साइकिल खरीदी गई है , गाड़ी के लिए कितने का कवरेज लिया गया है , और किन -किन एक्सेसरीज़ पर इंश्योरेंस लिया गया है, यह सब बातें भी प्रीमियम की कीमत पर असर डालती हैं। इन सब के अलावा जितना ज्यादा ऐड ऑन कवर इंश्योरेंस के साथ लिया जाता है, प्रीमियम की राशि भी उसी हिसाब से बढ़ती जाती है। पहली बार बाइक का इंश्योरेंस खरीदने वाले को यह भी मालूम होना चाहिए कि मोटर साइकिल जितनी पुरानी होती जाती है, उसका इनश्योर्ड डिक्लेयर्ड वैल्यू भी उसी हिसाब से कम होता जाता है, और इसी के साथ कम होता रहता है गाड़ी का प्रीमियम । इंश्योरेंस कंपनी का चुनाव करते समय इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि कौन सी कंपनी उसी आई. डी. वी. पर कम से कम प्रीमियम चार्ज कर रही है।
ऐड ऑन कवरेज - बाइक इंश्योरेंस लेते समय अपनी जरुरत के हिसाब से ऐड ऑन कवरेज लेने पर भी विचार किया जा सकता है। इसमें मुख्य है - बाइक में पीछे बैठी सवारी के लिए दुर्घटना का कवरेज , निल या जीरो डेप्रिसिएशन कवरेज जो समय के साथ गाड़ी की कीमत में आने वाली कमी को कवर करता है और इसमें दुर्घटनाग्रस्त मोटर साइकिल की मरम्मत में जो भी खर्चा आता है, वह जेब से नहीं देना पड़ता। इसके अलावा अगर आप बाइक में महँगी एक्सेसरीज़ लगाने के शौक़ीन हैं , तो इसे भी ऐड ऑन कवरेज में ले सकते हैं। अगर आप चाहें तो मेडिकल कवरेज भी ले सकते हैं जिसमें दुर्घटना के कारण जरुरत पड़ने वाले इलाज का खर्चा इंश्योरेंस में कवर होता हैं।
आखिर में कुछ जरुरी बातें जो एक मोटर साइकिल सवार को मालूम होनी चाहिए। चाहे आपके पास कितना भी महँगा इंश्योरेंस क्यों ना हो, उसमें कितने ही ऐड ऑन राइडर्स क्यों न हों, लेकिन यह सब बेकार है अगर दुर्घटना के दौरान आपके पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है, या उसकी समय सीमा खत्म हो चुकी है, या दुर्घटना के समय आप नशे की हालत में गाड़ी चलाते पाए जाते हैं , क्योंकि यह दोनों गैरकानूनी हैं। इन परिस्तिथियों में इंश्योरेंस में दिए जाने वाली सभी सुविधाओं को इंश्योरेंस कंपनी समाप्त कर देती है और इंश्योरेंस का क्लेम भी रदद हो जाता है। लेख में लिखी गई बातें जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से हैं। इस विषय को गहराई से जानने के लिए बाजार में मौज़ूद टू व्हीलर इंश्योरेंस कंपनियों से सीधे जानकारी प्राप्त करें।