होम इंश्योरेंस लेने से पहले किन बातों पर गौर करना जरुरी है

Things to keep in mind before buying Home Insurance

रोटी ,कपडा और मकान जीने की तीन मूलभूत आवश्यकताएं हैं। इसमें से मकान व्यक्ति के जीवन की वो संपत्ति है जिसे जुटाने के लिए वह अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा खर्च करता है। फिर उस मकान को घर बनाने में वह अपनी और अपने परिवार की खुशी का सभी सामान जुटाता है। 
इसलिए घर व्यक्ति के जीवन की सबसे मूल्यवान  संपत्ति है। यह भी एक कारण है कि गुज़रते समय के साथ ज्यादातर लोग होम इंश्योरेंस  की  जरुरत को महसूस  कर रहे हैं। बाजार में भी बहुत सारी इंश्योरेंस  कम्पनियाँ अपने -अपने प्लान की खूबियां गिनाकर ग्राहकों को आकर्षित कर रही  हैं ,लेकिन समझदार ग्राहक वही है, जो इंश्योरेंस  प्लान लेने से पहले कुछ ज़रूरी बातों पर अवश्य गौर करता है , जैसे-  
सम अश्योर्ड और कवरेज -सम अश्योर्ड इंश्योरेंस  का सबसे  महत्वपूर्ण अंग है। कोई भी प्लान लेते समय इस बात पर गौर करें कि घर और घर के अंदर की वस्तुओं के लिए तय की गई बीमा की राशि रिइंस्टेटमेंट वैल्यू के बराबर है कि नहीं। होम इंश्योरेंस  में क्लेम दो तरीके से दिया जाता हैं -पहला मार्किट वैल्यू के आधार पर, और दूसरा रिइंस्टेटमेंट  के आधार पर।  मार्किट वैल्यू  में डेप्रिसिएशन  को ध्यान में रख कर क्लेम का पैसा दिया जाता है , वहीँ रिइंस्टेटमेंट में घर को दोबारा बनाने में आने वाला खर्चा दिया जाता है, और डेप्रिसिएशन को आधार नहीं बनाया जाता। यही बात बाकी वस्तुओं पर भी लागू होती है। यहाँ इस बात को जानना जरुरी है  कि रिइंस्टेटमेंट का क्लेम ज्यादातर  मकान बन जाने के बाद मिलता  है।  कोई -कोई इंश्योरेंस  कंपनी चाहे तो थोड़ा बहुत पैसा पहले दे सकती है। एक अलग ही स्तिथि पर अगर गौर करें, तो  चेन्नई में आए सुनामी का उदाहरण लेते हैं, जहाँ कहीं -कहीं पूरी बिल्डिंग ही तबाह हो गई थी। तो ऐसे में तीसरी मंजिल पर रहने वाले फ्लैट का मालिक अकेले तो अपना घर नहीं बना सकता, ऐसी स्तिथि में जरुरी है कि सोसाइटी पूरे बिल्डिंग का इंश्योरेंस  कवर अवश्य ले।  

Home insurance Coverage


फस्ट लॉस पॉलिसी -  यह पॉलिसी  उस परिस्तिथि में लेना  चाहिए जहाँ एक साथ घर के पूरे सामान को नुकसान होने की संभावना कम होती हो। जैसे – चोरी, जहाँ चोर अगर चोरी करेगा तो ऐसी संभावना काफी काम होती है कि  वो आपके डबल बेड को या ड्रेसिंग टेबल को उठा ले जाये। । अगर आपके घर के अंदर 20 लाख का सामान है , और इसमें से सिर्फ दस लाख का सामान ही ऐसा है जिसके चोरी होने की संभावना  अधिक है , तो फस्ट लॉस पॉलिसी में आप 10 लाख रुपये को अधिकतम क्लेम राशि के रूप में बतायेंगे, और अगर   नुकसान इससे अधिक का हो गया, तो उसे पॉलिसीहोल्डर स्वयं पूरा करेगा। फस्ट लॉस पॉलिसी लेने पर  प्रीमियम की बचत होती है।  

 
सही ऐड ऑनस का चुनाव –हर घर की अपनी अलग आवशयकता है। कोई समंदर के किनारे बसा है जहाँ तूफान का खतरा मंडराता रहता है, तो कहीं बाढ़ या भूस्खलन हर साल तबाही मचाती है। कुछ सोसाइटी ऐसी होती हैं जहाँ चोरियाँ अधिक होती हैं, तो कुछ इलाके ऐसे हैं जहाँ आए दिन शॉर्ट सर्किट होते रहते हैं । आपको अपने जरुरत के हिसाब से इंश्योरेंस  प्लान चुनना है, ऐसा नहीं कि जो भी इंश्योरेंस  एजेंट कहता है  उस पर हामीं भरनी  है ,और ऐड ऑनस  लेते जाना है। आग और आग से जुडी दुर्घटनाओं वाला कवरेज  तो हर घर के लिए उपयोगी है, लेकिन अगर आपके घर में  कांच की बड़ी-बड़ी खिड़कियां या दरवाज़े नहीं है, तो ग्लास प्लेट का इंश्योरेंस  आपके किस काम का।


इंश्योरेंस कंपनियों की तुलना - इससे हमें यह पता है चलता है कि किस कंपनी का प्लान कम प्रीमियम में ज्यादा का कवरेज दे रहा है। कौन सी कंपनी अपने बेसिक प्लान में उन बातों को शामिल कर रही हैं जो आम तौर पर ऐड ऑन लेने पड़ते हैं , जैसे- घरेलू नौकर के द्वारा की गई चोरी, नकद पैसे , गहने और जरुरी कागज़ का कवरेज आदि। कौन सी कंपनी का प्लान  लचीला है जो इंश्योरेंस  लेने के कुछ समय बाद घर में  किये गए बड़े इन्वेस्टमेंट या रेनोवेशन को  पॉलिसी में शामिल करने की  गुंजाइश रखता है। कौन सी कंपनी बाजार में कितने वर्षों से काम कर रही है, कंपनी की आर्थिक स्थिति क्या है, और उसका क्लेम सेटलमेंट रेश्यो क्या है।
अंडर इंश्योरेंस  -इसका मतलब है जितने इंश्योरेंस  की जरुरत है उससे कम का इंश्योरेंस  होना। पॉलिसी  लेते समय  अगर आप अंडर इन्शयॉर्ड  हैं, मतलब  आपने अपने घर का या घर  के  कीमती सामान का सही आंकलन नहीं किया है, तो आपके  पास जरुरी  बीमा कवरेज नहीं है। नुकसान के बाद क्लेम लेते समय आपको कम क्लेम मिलेगा, और इस तरह आप पॉलिसी का पूरा फायदा नहीं उठा पाएँगे। इसी तरह घर के पुराने सामान का इंश्योरेंस  नहीं करवाना चाहिए चाहे वह चालू हालत में ही क्यों न हो , क्योंकि इससे बेवजह ज्यादा प्रीमियम भरना पड़ेगा, और क्लेम लेते समय कंपनी उसकी कीमत डेप्रिसिएशन के आधार पर लगाएगी, और इसमें भी आपको नुकसान ही होगा।


 
पॉलिसी में सही जानकारी देना -- क्लेम के समय सामान हो या मकान का कोई हिस्सा, जिसे भी नुकसान पहुँचता  है, इंश्योरेंस  कंपनी उन सब  का अच्छे से निरीक्षण करती है। इसके लिए  जरुरी है कि सभी चीज़ों का बिल सबूत के तौर पर आप सम्हाल कर रखें जिसमें सामान खरीदने की  तारीख़, कीमत सभी लिखा होता  हैं। इसके अलावा तस्वीरें खींच कर रखना भी एक अच्छा आईडिया है।  अगर मकान के किसी हिस्से का नक्शा पास नहीं है, या घर के किसी भाग से कोई बिज़नेस  बिना बताए चलाया जा रहा है, या घर का पता ठीक नहीं है, या अन्य किसी तरह की जानकारी सही नहीं दी गई है, तो क्लेम लेने के दौरान मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं, या क्लेम रदद भी हो सकता है।   
    
एक बात और। किसी भी इंश्योरेंस  कंपनी का प्लान लेते समय कंपनी के टर्म्स एंड कंडीशंस को बारीकी से पढ़ और समझ  लेना जरुरी है, क्योंकि एक बार हस्ताक्षर करने के बाद  कंपनी सारे फैसले उसी के आधार पर लेती है। इसके अलावा अन्य ग्राहकों के द्वारा दिए गए रिव्यु  को भी जरूर पड़ना चाहिए जहाँ वह इंश्योरेंस  कंपनी के साथ हुए अपने अनुभव को साझा करते हैं। इंश्योरेंस  हम इसलिए करवाते हैं ताकि नुकसान होने पर इंश्योरेंस  कंपनी उसकी भरपाई कर दे और हमें तकलीफ का सामना न करना पड़े। इसलिए इंश्योरेंस  कंपनी का चुनाव सोंच समझकर करें।
लेख में लिखी गई बातें जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से हैं। इस विषय को गहराई से जानने के लिए बाजार में मौज़ूद होम इंश्योरेंस  कंपनियों से सीधे जानकारी प्राप्त करें।

Home Insurance FAQ

 

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