कार इंश्योरेंस क्लेम किन कारणों से रिजेक्ट हो जाते हैं

Car Insurance Claim Rejection

कार लक्ज़री का दूसरा नाम है। हर किसी की ख़्वाहिश होती है कि एक दिन वह कार ज़रूर ख़रीदे। परन्तु कार अपने साथ कई ज़रूरी खर्चे भी ले कर आती है

जिसमें एक है – “कार इंश्योरेंस ” जो आपको हर साल करवाना ज़रूरी है।

भारतीय कानून के अनुसार, कार को सड़क पर उतारने के लिए, उसका इंश्योरेंस  होना जरूरी है। साल दर साल हम कार का इंश्योरेंस  इस विश्वास के साथ रिन्यू कराते  हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर गाड़ी के मरम्मत का खर्चा इंश्योरेंस  से क्लेम किया जा सके। लेकिन कुछ परिस्थितियां ऐसी हैं जहाँ कार का इंश्योरेंस  क्लेम रिजेक्ट भी हो सकता है। जैसे -

कार के एक्सीडेंट की सूचना इंश्योरेंस  कंपनी को देरी से देना - पॉलिसी धारक को कार के दुर्घटना की सूचना जल्द से जल्द इंश्योरेंस  कंपनी को देना चाहिए। आमतौर पर दुर्घटना के 48 घंटे से 72 घंटे के बीच इंश्योरेंस  कंपनी को क्लेम के लिए सूचित करना ज़रूरी होता है, नहीं तो पॉलिसी धारक का क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।  वैसे हर कंपनी के अपने टर्म्स एंड कंडीशंस होते हैं , जिसके आधार पर वह समय सीमा तय करती है। 

Car Insurance Claim Process

कार एक्सीडेंट को साबित न कर पाना - वैसे तो इंश्योरेंस  कंपनी अपने प्रतिनिधि दुर्घटना स्थल पर जाँच के लिए भेजती है। यदि इसमें देरी होती है, और आप घटनास्थल से बिना कोई तस्वीर खींचे या वीडियो बनाए, या चश्मदीद गवाहों के नंबर लिए, कार को घटनास्थल से ले जाते हैं, तो इंश्योरेंस  क्लेम के समय आपको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है और कई मामलों में क्लेम रिजेक्ट होते भी देखा गया है।  

दुर्घटना की सही जानकारी न देना -कई बार पॉलिसी धारक घटना की कुछ जानकारी इंश्योरेंस  कंपनी से छुपा देता है।  या कभी अधिक क्लेम पाने की लालच में हुए नुकसान को बड़ा चड़ा कर पेश करता है। ऐसा करके आप अपने को परेशानी मे डालते हैं और आपका क्लेम अस्वीकार तो  हो ही सकता है,  साथ ही साथ पॉलिसी रदद भी हो सकती  है।

यदि घटना के समय बीमा पॉलिसी लैप्स है -इंश्योरेंस  प्रीमियम  भरने में  यदि डियू  डेट से एक दिन की भी देरी हो जाती है, तो ऐसे में इंश्योरेंस  कंपनी क्लेम नहीं देगी।  

यदि दुर्घटना आपकी अपनी लापरवाही का नतीजा है - जैसे  दुर्घटना के समय व्यक्ति  नशे की हालत में गाड़ी चलाते पाया जाए , या  उसने सुरक्षानियमों का पालन नहीं किया  हो, कार ओवरस्पीड चलाई हो, या मौज मस्ती के चलते दुर्घटना हो गई हो ।  इसके अलावा यदि आपकी कार चोरी के लिए इंश्योर्ड  है और  यह साबित हो जाता है कि आप अपनी गाड़ी लॉक करना ही भूल गए थे और इसीलिए गाड़ी चोरी हो गई, तो ऐसे में इंश्योरेंस  कंपनी क्लेम नहीं देगी। साथ ही साथ गाड़ी  चलाने का लाइसेंस भी सही नहीं पाया जाता ,तो भी इंश्योरेंस  क्लेम रदद हो सकता है। 

यदि गाड़ी में कुछ मॉडिफिकेशन्स किये गए हों और  इंश्योरेंस  रिन्यूअल के समय इंश्योरेंस  कंपनी को इसकी जानकारी न दी गई हो -अक्सर देखा जाता है कि शौक के चलते कार की बॉडी या इंजन में, या कार के अंदर कुछ लोग बदलाव करते हैं।  इन  मॉडिफाइड  कार  का प्रीमियम थोड़ा ज्यादा होता है। अक्सर यह माना जाता है की मॉडिफाइड गाड़ियाँ दुर्घटना को बुलावा देती हैं क्योंकि शोरूम से सुरक्षा टेस्ट पास करके आई कारों में अपने रिस्क पर बदलाव किया जाता है। मॉडिफिकेशन्स की जानकारी न देने पर आपका इंश्योरेंस  क्लेम रदद हो सकता है।  

यदि आर सी और इंश्योरेंस  पॉलिसी में नाम अलग अलग हैं -ऐसा अक्सर सेकेण्ड हैण्ड कार के मामलों में होता है, जब हम कार तो खरीद लेते हैं, पर उससे जुडी कागज़ी कार्यवाही समय पर पूरी नहीं करते, और यदि उसी दौरान कार का एक्सीडेंट हो जाता है, या चोरी हो जाती है, तो आर सी और इंश्योरेंस  पॉलिसी  में नाम अलग अलग होने की वजह से इंश्योरेंस  क्लेम रदद हो जाता है।

इन सभी ज़रूरी बातों पर अमल करके और समय पर इंश्योरेंस  प्रीमियम भरकर हम इन परेशानियों से दूर रह सकते हैं।

Car Insurance Coverage

लेख में लिखी गई बातें जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से हैं। इस विषय को गहराई से जानने के लिए बाजार में मौज़ूद कार इंश्योरेंस  कंपनियों से सीधे जानकारी प्राप्त करें।

कार इंश्योरेंस  से जुडी अधिक बातों को जानने के लिए आप सही बीमा डॉट कॉम के वेबसाइट पर लॉग ऑन करें।

Health Insurance FAQ

 

Comments

This is a very good and insightful article...I really appreciate the language and efforts to write it in Hindi.

Add new comment